BatRas बतरस
In Praise of Good Conversation❤️ At BatRas, we believe in the simple, transformative power of a good talk. Thoughtful, unscripted, and wide-ranging—our conversations explore, culture, society, and everything that shapes how we live and think. This isn’t a podcast about shouting matches or easy answers. It’s about listening closely, speaking honestly, and discovering insight through dialogue. If you value the art of meaningful conversation, BatRas is your space.
शनिवार, 30 अगस्त 2025
रविवार, 29 जून 2025
Blog_BatRas l Episode 01 l Dr. Anurag Arya
शूट के दिन, छोटी-छोटी तैयारियों के चक्कर में हम स्टूडियो में लेट पहुंचे, इतने लेट कि हमारे गेस्ट अनुराग जी सपत्नीक हमसे पहले पहुँच गए, जबकि उन्हें मेरठ से आना था और हम यहीं नोएडा से आ रहे थे। हमने राहत की सांस ली, जब अनुराग जी के चेहरे पर वही सुलझी मुस्कान मिली और उनकी पत्नी मीनाक्षी जी भी, आत्मीयता से मिलीं। हमें लगा इस पहले एपिसोड के लिए किसी और को बुलाते जो इतनी शानदार शख्सियत के मालिक न होते, वे अगर कुछ नाराजगी दिखा देते, तो मुझ बेचारे का क्या होता? अपने पहले एपिसोड की शूटिंग में मै सारा कॉन्फिडेंस खो चुका होता। फिर जाने कैसा होता बतरस का पहला एपिसोड और अगर सब गड़बड़ मै कर देता तो पीछे दो-तीन महीनों की मेहनत हमारी सब खराब हो जाती। लेकिन हम भाग्यशाली रहे, कुछ ऐसा नहीं हुआ। अनुराग जी ने क्या खूब हमें सपोर्ट किया।
अनुराग जी इतने भले मानुष कि शूट होने के बाद भी उन्होंने कहा- 'यार, यों तो मई में मेरा schedule सच में टाइट है लेकिन तुम्हारा पहला पॉडकास्ट है, और अगर तुम्हें लगा कि एपिसोड ठीक नहीं बना, तुम्हारी उम्मीदों के हिसाब से तो मै संडे मॉर्निंग में दो घंटे के लिए फिर नोएडा आ जाऊंगा!' भाई! कौन कहता है ऐसा? ऐसा सोचने के लिए भी हीरे जैसा दिल चाहिए। मैंने अनुराग जी से कहा- नहीं-नहीं! मुझे अच्छा ही फ़ील हुआ है, शायद हमने इसे अच्छा ही किया है, एकबार रॉ फूटेज आने दीजिए, शायद इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। रॉ फूटेज आयी, और इसकी जरूरत नहीं पड़ी। शूट इतना अच्छा हुआ था, कि बहुत बार एडिट करने के बाद भी पूरे विडिओ से केवल 5 मिनट की वीडियो ही हटायी जा सकी। इससे पता चलता है कि हमने कितनी स्वाभाविक बात की थी।
पहली बार रॉ वीडियो आया, तो हमें उसमें से एडिट कट्स बताने थे। ये इतना आसान नहीं था। हमें ये वीडियो कई बार सुनना पड़ा। आखिरकार हमने बहुत छोटे-छोटे सात-आठ कट्स बताए। फाइनल वीडियो देखकर हम अच्छा फ़ील कर रहे थे, हम निश्चित थे कि हमने अच्छा काम किया है। अब बारी थी कि इसे 1 मई को कैसे ब्रॉडकास्ट किया जाए। यूट्यूब पर तीन ऑप्शन थे, हमें तीनों के बारे में या उनके क्या फायदे-नुकसान हैं, वो नहीं पता था। एक था कि पूरी विडिओ अपलोड कर दी जाए, एक बार में। दूसरा था, इसका प्रिमियर किया जाए- इसमें विडिओ जब तक एक बार पूरी नहीं चल जाती, तब तक वो पूरी अवैलबल नहीं होती और तीसरा ऑप्शन था कि इसे लाइव किया जाए। सोच-विचार कर हमने पहला एपिसोड लाइव किया। लाइव रीस्पान्स से हमें बड़ी ताकत मिली। लगभग सभी लोगों ने, सभी दोस्तों ने, रिश्तेदारों ने, बड़ों ने, गुरुओं ने सबने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। कितनी हिम्मत मिली, कह नहीं सकते-जान में जान आयी। पहला एपिसोड बढ़िया रहा। एक नए चैनल के हिसाब से बहुत ही बढ़िया।
कुछ कमेंट्स आप भी देखें:
मैंने अनुराग जी को फोन किया, उन्हे फिर-फिर बधाई दी, उनसे मैंने कहा कि -बतरस के लिए आप हमेशा ही सबसे ज्यादा स्पेशल रहोगे। उन्होंने मुझे बधाई दी, मेरे जन्मदिन की भी बधाई दी और कहा -अभी वे खुद एपिसोड देख नहीं पाए हैं, रात में देखेंगे। मुझे बहुत फोन आए, लोगों को पसंद आया था बतरस। अगले दिन भी फोन आते रहे। एक मेरे सीनियर अंबुजेश भैया ने बहुत ही भावुक होकर कहा - 'बेहद शानदार, श्रीश। लगा कि -जैसे कोई मेरी ही कहानी कह रहा हो। इसे करते रहना' ।
बहुत अच्छा लगा। बहुत लोगों ने वीडियो पर जाकर टिप्पणी की, बहुत लोगों ने लाइव रीस्पान्स दिया। इतनी हिम्मत आ गई थी, कि पॉडकास्ट कर सकते हैं :)
इधर दूसरे एपिसोड के लिए भाई दिनेश बावरा जी ने अपनी सहमति दे दी थी। दिनेश जी का व्यक्तित्व, अनुराग जी से बिल्कुल अलहदा, इस पर अगली ब्लॉग पोस्ट में बात करते हैं। तब तक आप बतरस का पहला एपिसोड देख कर मुझे बताइए वहीं, कि आपको कैसी लगी - पहली बतरस की बैठकी।
शुक्रवार, 27 जून 2025
गुरुवार, 26 जून 2025
रविवार, 22 जून 2025
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